मन मंदिरा तेजाने उजळुन घेई साधका
संवेदना ...... संवेदना संवादे सहवेदना जपताना
तळ हाताच्या रेषांनी सहज सूखा का भोगी कोणी
भर पंखातून स्वप्न उद्याचे (२)
झेप घेरे पखरा उजळुन घेई साधका
मन मंदिरा तेजाने उजळुन घेई साधका
मन मंदिरा
मन मंदिरा
नी नी सा सा नी नी सा सा
नी रे सा सा नी रे सा सा नी सा प
मपप मपप मपप मपप मपनीधप मगरेमगरे सानीसा
नी नी सा सा नी नी सा सा
म म प म प नी ध प म म प म प नी ध प
प नी सा रे रे रे प नी सा म ग रे
रे ग रे ग रे सा सा नी ध नी ध प
रे ग रे ग रे सा नी सा रे रे सा नी रे म ध नी
प नी सा प नी सा प नी सा प नी सा रे रे
रे ग रे ग रे सा
नीरे नीमम रेगग सारेरेनीसासा सारेसानी रे़रे़रे़रे़ रेरेमगरे सारेसानी पमगरे मपनीसासासा नीसा नीसा नीसा नीसा नीसा नीसा नीसा नीसा नीसा ... आ... आ... आ...
चित्रपट - कट्यार काळजात घुसली
स्वर - शंकर महादेवन
संगीत - शंकर एहसान लॉय
गीत - मंदार चोलकर
तळटीप : सदर आलापी अचूक नसून फ़क्त जेवढी शक्य झाली तेवढीच दिली आहे.
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